Hindi Books (4)

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    इस पुस्तक में 1857 की क्रान्ति को समग्रता के साथ एक नवीन ढंग से कतिपय नवीन तथ्यों के साथ बहुत ही रोचक शैली में सरल सहज एवं सुबोध ढंग से प्रस्तुत किया गया है।

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    1857 ki Kranti by: Brajesh Kumar Shrivastava Original price was: ₹650.00.Current price is: ₹585.00.

    इस पुस्तक में 1857 की क्रान्ति को समग्रता के साथ एक नवीन ढंग से कतिपय नवीन तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया गया है। अजीमुल्ला खाँ एवं रंगोजी बापू ने किस तरह इंग्लैण्ड में क्रान्ति की पूर्व-पीठिका तैयार की? 1857 की क्रान्ति में बैजाबाई सिंधिया की क्या भूमिका थी? नवाब वाज़िद अली साहब के मन्त्री अली नक्की खाँ ने किस प्रकार बैरकपुर छावनी के सैनिकों को क्रान्ति हेतु प्रेरित किया? 1857 की क्रान्ति के आरम्भ में गंगादीन की क्या भूमिका थी? कानपुर का सतीचैरा एवं बीबी घर हत्याकाण्ड एवं झाँसी के झोंकन बाग हत्याकाण्ड में किस तरह अंग्रेज़ मौत के घाट उतारे गए। बेग़म ज़ीनत महल ने किस प्रकार अपने पति बहादुरषाह जफ़र को क्रान्ति का नेतृत्व करने हेतु प्रेरित किया? बेग़म हज़रत महल ने किस प्रकार अपने सहयोगियों के साथ ब्रिटिष सेना के छक्के छुड़ाए? रानी लक्ष्मीबाई ने भारत को अपना देष मानते हुए किस प्रकार सर्वप्रथम स्वराज की बात की एवं टीकमगढ़ की रानी लड़ई सरकार के दीवान नत्थे खाँ के घमण्ड को चूर-चूर किया? जब सागर के किले में 370 अंग्रेज़ स्त्री-पुरुष एवं बच्चों के घिरे होने का समाचार इंग्लैण्ड पहुँचा तो किस प्रकार उन्होंने सर्वश्रेष्ठ सेनापति ब्रिगेडियर जनरल ह्यूरोज़ को इन्हें मुक्त कराने भेजा? षाहगढ़ राजा बखतवली एवं बानपुर राजा मर्दनसिंह ने किस तरह अंग्रेज़ों को अत्यधिक परेषान किया कि वे उनके नाम से काँपने लगे। तात्या टोेपे ने अंग्रेज़ सेनापतियों को किस प्रकार खिजाया? ऐसा क्या हुआ कि अंग्रेज़ों ने रानी लक्ष्मीबाई एवं तात्या टोपे को सर्वश्रेष्ठ वीर होने की संज्ञा दी? किस प्रकार षडयन्त्र द्वारा अंग्रेज़ांे ने तात्या टोपे को पकड़वाया? उक्त समस्त घटना-क्रम को बहुत ही रोचक षैली में सरल सहज एवं सुबोध ढंग से इस पुस्तक में प्रस्तुत किया गया है।

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    इस पुस्तक में 1857 की क्रान्ति को समग्रता के साथ एक नवीन ढंग से कतिपय नवीन तथ्यों के साथ बहुत ही रोचक शैली में सरल सहज एवं सुबोध ढंग से प्रस्तुत किया गया है।

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    1857 ki Kranti (Pb) by: Brajesh Kumar Shrivastava Original price was: ₹300.00.Current price is: ₹270.00.

    इस पुस्तक में 1857 की क्रान्ति को समग्रता के साथ एक नवीन ढंग से कतिपय नवीन तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया गया है। अजीमुल्ला खाँ एवं रंगोजी बापू ने किस तरह इंग्लैण्ड में क्रान्ति की पूर्व-पीठिका तैयार की? 1857 की क्रान्ति में बैजाबाई सिंधिया की क्या भूमिका थी? नवाब वाज़िद अली साहब के मन्त्री अली नक्की खाँ ने किस प्रकार बैरकपुर छावनी के सैनिकों को क्रान्ति हेतु प्रेरित किया? 1857 की क्रान्ति के आरम्भ में गंगादीन की क्या भूमिका थी? कानपुर का सतीचैरा एवं बीबी घर हत्याकाण्ड एवं झाँसी के झोंकन बाग हत्याकाण्ड में किस तरह अंग्रेज़ मौत के घाट उतारे गए। बेग़म ज़ीनत महल ने किस प्रकार अपने पति बहादुरषाह जफ़र को क्रान्ति का नेतृत्व करने हेतु प्रेरित किया? बेग़म हज़रत महल ने किस प्रकार अपने सहयोगियों के साथ ब्रिटिष सेना के छक्के छुड़ाए? रानी लक्ष्मीबाई ने भारत को अपना देष मानते हुए किस प्रकार सर्वप्रथम स्वराज की बात की एवं टीकमगढ़ की रानी लड़ई सरकार के दीवान नत्थे खाँ के घमण्ड को चूर-चूर किया? जब सागर के किले में 370 अंग्रेज़ स्त्री-पुरुष एवं बच्चों के घिरे होने का समाचार इंग्लैण्ड पहुँचा तो किस प्रकार उन्होंने सर्वश्रेष्ठ सेनापति ब्रिगेडियर जनरल ह्यूरोज़ को इन्हें मुक्त कराने भेजा? षाहगढ़ राजा बखतवली एवं बानपुर राजा मर्दनसिंह ने किस तरह अंग्रेज़ों को अत्यधिक परेषान किया कि वे उनके नाम से काँपने लगे। तात्या टोेपे ने अंग्रेज़ सेनापतियों को किस प्रकार खिजाया? ऐसा क्या हुआ कि अंग्रेज़ों ने रानी लक्ष्मीबाई एवं तात्या टोपे को सर्वश्रेष्ठ वीर होने की संज्ञा दी? किस प्रकार षडयन्त्र द्वारा अंग्रेज़ांे ने तात्या टोपे को पकड़वाया? उक्त समस्त घटना-क्रम को बहुत ही रोचक षैली में सरल सहज एवं सुबोध ढंग से इस पुस्तक में प्रस्तुत किया गया है।

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    “प्रस्तुत पुस्तक श्री राधा-कृष्ण भक्ति सरोवर में गुरुदेव-वन्दना से प्रारम्भ होकर श्रीराधा कृपा-कटाक्ष स्तोत्र, श्रीराधा-कवच, श्रीराधा चालीसा के साथ-साथ श्रीकृष्ण कृपा-कटाक्ष स्तोत्र, त्रैलोक्यविजय श्रीकृष्ण-कवच, श्रीकृष्ण चालीसा एवं युगल कीर्तन स्तुति व स्नेह सवैया भक्ति रस-रूपी नदियां प्रवाहित हैं।
    इनके अलावा श्रीराधाजी की आरती, मंगला भजन, संध्या भोग के पद, समर्पण गीत, पूजा-आराधना विधि भी समाहित हैं।
    भक्तों के लिए राधा-कृष्ण पर आधारित भक्तिमय भजनों के साथ-साथ कुछ दोहे, राधा-कृष्ण पर सवैये एवं श्रीकृष्ण स्तुति भी संकलित किए गए हैं।
    आशा ही नहीं विश्वास भी है कि श्री राधा-कृष्ण भक्तों को यह पुस्तक अति रुचिकर लगेगी।”

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    Sri Radha Krishna Bhakti Sarovara: krpa-kataksha stotra, kavaca, calisa, arati, puja-aradhana vidhi, doho?, savaiyo? eva? bhajano? sahita by: Original price was: ₹70.00.Current price is: ₹63.00.

    “प्रस्तुत पुस्तक श्री राधा-कृष्ण भक्ति सरोवर में गुरुदेव-वन्दना से प्रारम्भ होकर श्रीराधा कृपा-कटाक्ष स्तोत्र, श्रीराधा-कवच, श्रीराधा चालीसा के साथ-साथ श्रीकृष्ण कृपा-कटाक्ष स्तोत्र, त्रैलोक्यविजय श्रीकृष्ण-कवच, श्रीकृष्ण चालीसा एवं युगल कीर्तन स्तुति व स्नेह सवैया भक्ति रस-रूपी नदियां प्रवाहित हैं।
    इनके अलावा श्रीराधाजी की आरती, मंगला भजन, संध्या भोग के पद, समर्पण गीत, पूजा-आराधना विधि भी समाहित हैं।
    भक्तों के लिए राधा-कृष्ण पर आधारित भक्तिमय भजनों के साथ-साथ कुछ दोहे, राधा-कृष्ण पर सवैये एवं श्रीकृष्ण स्तुति भी संकलित किए गए हैं।
    आशा ही नहीं विश्वास भी है कि श्री राधा-कृष्ण भक्तों को यह पुस्तक अति रुचिकर लगेगी।”

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    डाॅ॰ हरीसिंह गौर (Dr. Harisingh Gaur) by: Brajesh Kumar Srivastava Original price was: ₹550.00.Current price is: ₹495.00.

    डा. हरीसिंह गौर ने एक गरीब परिवार से उठकर अपने परिश्रम, बुद्धिमानी, लगनशीलता, धैर्य, आत्म-विश्वास एवं दृढ़ निश्चय जैसे गुणों के बल पर कैम्ब्रिज युनिवर्सिटी जैसे उस समय के उत्कृष्ट शिक्षा संस्थान से शिक्षा प्राप्त की। निरन्तर प्रगति करते हुये अपने समय के बुद्धिजीवों की प्रथम पंक्ति में आ गये। अपनी सृजनात्मक क्षमता का उपयोग करते हुये साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कवितायें एवं निबंध लिखे, कानून के क्षेत्र में उच्च कोटि के प्रख्यात ग्रन्थ लिखे एवं धर्म के क्षेत्र में ‘स्प्रिट आॅफ बुद्धिज्म’ जैसी श्रेष्ठ पुस्तक लिखी। वे उच्च कोटि के विधिवेत्ता थे, उस दौर में वकालात करते हुये सफलता के नये कीर्तिमान स्थापित किये। कुशल राजनीतिज्ञ की भूमिका निभाते हुये विधान परिषद् में समाज सुधार एवं महिलाओं की स्वतंत्रता विषयक अधिनियम पारित कराये। संस्थापक वाइस चांसलर के रूप में कुशल प्रशासक एवं प्रबुद्ध शिक्षाशास्त्री होने का परिचय देते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय को संगठित किया। अपने जीवनभर की कमाई का सदुपयोग विद्यादान में करते हुये सागर विश्वविद्यालय की स्थापना की और महादानी कहलाये।
    डा. गौर का सम्पूर्ण जीवन अनुकरणीय है। पुस्तक को सहज, सरल एवं बोधगम्य शैली में लिखकर यथासंभव प्रेरणास्पद बनाने का प्रयास किया गया है। छात्र, शोधार्थी एवं आम पाठक इसे पढ़कर डा. गौर के जीवन से प्रेरणा लेकर अपने व्यक्तित्व का विकास करते हुये अपने जीवन एवं कर्मक्षेत्र में सफलता प्राप्त करें, इसी आशा से पुस्तक लिखी गई है। पुस्तक इतनी रोचक एवं ज्ञानवर्द्धक है कि इसे पढ़कर आप अपने आपको धन्य महसूस करेंगे।

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