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दार्शनिक समीक्षा का सत्याग्रह (Darshanika Samiksha Ka Satyagraha)

by: Ambika Datta Sharma

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Details

ISBN: 9788124611593
Year Of Publication: 2022
Edition: 1st
Pages : xi, 198
Bibliographic Details : Index
Language : Hindi
Binding : Hardcover
Publisher: Indian Council of Philosophical Ressearch
Size: 23
Weight: 310

Overview

दार्शनिक समीक्षा का सत्याग्रह नामधेय यह कृति मेरे द्वारा दिए गए व्याख्यानों का एक परिमार्जित संग्रह है। यह सभी व्याख्यान भारत के प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थानों में 2017-18 के दौरान भारतीय दार्शनिक अनुसन्धान परिषद् के अतिथि आचार्य (विजटिंग प्रोफेसर) के रूप में दिए गए थे। ऐसे संग्रह-ग्रन्थ में विचार केन्द्रित अन्विति नहीं होती, और यदि होती भी है तो उसे विचारक-केन्द्रित अन्विति के रूप में ही परखा जा सकता है। विचारों में विचारक-केन्द्रित अन्विति अनुप्रास युक्त पदों से निर्मित एक वाक्य की तरह होती है जिसके अलग-अलग पद आनुप्रासिक सौन्दर्य के साथ अर्थ का अभिधान करते हैं। इसी प्रकार का आनुप्रासिक सौन्दर्य एक व्यक्ति के बहुविध वैचारिक उपक्रमों की सार्थकता होती है। दार्शनिक समीक्षा के रूप में समाकलित इन सभी व्याख्यानों की अन्विति उनके सत्याग्रही होने में है। विचार का सत्य विचारों के मूलगामी अर्थ को उद्घाटित करना है। समीक्षा जब इस उद्देश्य के साथ प्रवर्तित होती है तभी “सत्याग्रह” उसका विशेषण बनता है।

Contents

आमुख

1. अद्वैतवादी दर्शनों का प्रस्थानमूलक वैशिष्ट्य

2. मानवतावादी ज्ञान-विनिर्माण का अद्वैतमूलक पद्धतिशास्त्र

3. रामायण का सत्य और महाभारत का धर्म

4. धार्मिक सह-अस्तित्व की भारतीय द्रष्टि

5. आधुनिक अन्तरधर्म-संघर्ष और बौद्धधर्म की अहिंसक प्रसरणशीलता

6. भारतीय मानस का वि-औपनिवेशीकरण

7. स्वातन्त्र्योत्तर भारत में वि-औपनिवेशीकरण के मूलभूत अर्थ-सन्दर्भ

8. वि-औपनिवेशीकरण, वैचारिक स्वराज और भाषाई राजपथ

9. मार्क्स, गाँधी और हाइडेग्गर कृत आधुनिक सभ्यता की पर्यालोचना

शब्दानुक्रमणिका

Meet the Author
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1960
Dr Ambika Datta Sharma is at present Professor of Philosophy in the Dr. H.S. Gour Central University, Sagar (MP). He has to his credit numerous research papers in the leading journals of philosophy which cover his wide range of scholarship. The major publications of Professor Sharma include Bauddha Pramana Darshana, Bharatiya Darshana mein Prapyakaritvavada, Nyaya Darshana, Vedanta Darshana ke Ayam, In Defence of Metaphysics and Bharatiyata ke Samasik Arth Sandarbha. Apart from above he has edited four major volumes entitled Samekita Darshanika Vimarsha, Samekita Advaita Vimarsha, Bharatiya Darshana ke 50 Varsha and Samekita Pashcatya Darshana Samiksha under Svatantrayottara Darshanika Prakarana series. He is the recipient of UGC research award (2006) and Naresh Mehta Smriti Vangmaya Samman (2007) for his valuable contributions to Philosophy, Culture and Civilization. He is also the editor of Unmilan and General Secretary, All India Philosophy Association.

“दार्शनिक समीक्षा का सत्याग्रह (Darshanika Samiksha Ka Satyagraha)”


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