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Bundelkhand ka Itihas (Hindi)

by: Brajesh Kumar Shrivastava

540.00

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Details

ISBN: 9788124609491
Year Of Publication: 2019
Edition: 1st Edition
Pages : xi, 212
Bibliographic Details : Index
Language : Hindi
Binding : Hardcover
Publisher: D.K. Printworld Pvt. Ltd.
Size: 23
Weight: 500

Overview

प्रस्तुत पुस्तक बुन्देलखण्ड का इतिहास में बुन्देलखण्ड के सीमांकन, नामकरण एवं बुन्देला साम्राज्यों की स्थापना को रोचक ढंग से समझाने का प्रयास किया गया है।
अखिल भारतीय स्तर पर 1836 ई॰ में भारतीय स्वाधीनता का प्रथम प्रस्ताव चरखारी में पारित हुआ था। इसके बाद 1842 ई॰ के बुन्देला विद्रोह में जैतपुर नरेष पारीछत ने अपने सहयोगियों मधुकरशाह एवं हिरदेशाह के साथ मिलकर अंग्रेज़ों के दाँत खट्टे कर दिए। इसी प्रकार 1857 ई॰ की क्रान्ति में बानपुर राजा मर्दन सिंह, शाहगढ़ राजा बखतवली एवं रानी लक्ष्मीबाई ने अपने अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर अंग्रेज़ों को अत्यधिक परेषान किया। बुन्देलखण्ड के अंग्रेज़ों ने सागर आकर जान बचाई। सागर के किले में पूरे 370 अंग्रेज़ों ने शरण ली। इस किले को चारों ओर से क्रान्तिकारियों ने घेर लिया। बड़ी मुश्किल से ब्रिगेेडियर जनरल ह्यूरोज ने बुन्देलखण्ड में 1857 ई॰ की क्रान्ति का दमन किया।
उक्त समस्त घटनाक्रम को प्रथम बार इस पुस्तक में सहज सरल एवं सुबोध ढंग से पिरोया गया है तथा बुन्देलखण्ड के इतिहास को प्रथम बार रोचक शैली में धाराप्रवाह ढंग से प्रस्तुत करने का हरसम्भव प्रयास किया गया है।
आशा है यह पुस्तक छात्रों, शोधार्थियों सहित इतिहास में रुचि रखने वाले आम नागरिकों को भी रूचिकर लगेगी।

Contents

भूमिका
1. बुन्देलखण्ड: नामकरण एवं भौगोलिक सीमाएं
2. बुन्देलों का उत्कर्ष
3. चम्पतराय का मुग़लों से संघर्ष
4. चम्पतराय एवं मुग़ल उत्तराधिकार का संघर्ष (1657-58 ई॰)
5. छत्रसाल: प्रारम्भिक जीवन एवं शिवाजी का प्रभाव
6. छत्रसाल द्वारा बुन्देला साम्राज्य की स्थापना
7. छत्रसाल एवं मोहम्मद खाँ बंगश का संघर्ष
8. छत्रसाल के पेशवा बाजीराव प्रथम से सम्बन्ध
9. सागर-नर्मदा क्षेत्र में ब्रिटिश सत्ता की स्थापना
10. 1842 के बुन्देला विद्रोह के कारण
11. बुन्देला विद्रोह: आरम्भ एवं प्रसार
12. राजा पारीछत: बुन्देला विद्रोह (1842) का प्रमुख सूत्रधार
13. बुढ़वामंगल मेला
14. 1842 के बुन्देला विद्रोह का नायक: मधुकरशाह
15. बुन्देला विद्रोह (1842 ई॰) में हिरदेशाह की भूमिका
16. बुन्देला विद्रोह का दमन
17. झाँसी में 1857 की क्रान्ति का आरम्भ एवं झोकन बाग हत्याकाण्ड
18. 1857 की क्रान्ति: अंग्रेज़ दल का ललितपुर से दहशत भरा सागर पलायन
19. सागर में 1857 की क्रान्ति की पूर्व सन्ध्या पर अंग्रेज़ अधिकारियों की बढ़ती चिन्ताएं एवं उठाए गए सुरक्षात्मक कदम
20. सागर में 1857 ई॰ की क्रान्ति का आरम्भ एवं शाहगढ़ राजा बखतवली की दोहरी भूमिका
21. 1857 ई॰ की क्रान्ति में राजा बखतवली की दूरदर्शिता, दोस्ती एवं व्यूह-रचना
22. सागर का तात्या टोपे: बोधन दौआ
23. बानपुर राजा मर्दनसिंह का 1857 की क्रान्ति के दौरान सागर क्षेत्र में स्थित अंग्रेज़ों पर आतंक
24. बुन्देलखण्ड में 1857 की क्रान्ति का दमन एवं प्रभाव
25. सन् 1857 की क्रान्ति में साम्प्रदायिक एकता
26. 1857 की क्रान्ति के दौरान लोकगीतों द्वारा बुन्देलखण्ड में राष्ट्रीय चेतना का विकास
सन्दर्भ ग्रन्थ-सूची

“Bundelkhand ka Itihas (Hindi)”

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