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Dhola Gamvara Sudra ...
Dhola Gamvara Sudra Pasu Nari Ye Sab Tadana ke Adhikari
Interpretation of Goswami Tulsidas by: Bal Ram SinghThis book presents a proper meaning of the Ramcharitmanas chaupai, Dhola gamvara sudra pasu nari , ye sab tadana ke adhikari using the actual meaning of the word, tadana, in Avadhi language, and by delving into the deep philosophical references of the Pancabhutas, ether, air, fire, water, and earth of the Samkhya and Vaishesika darshanas, as intended by Goswami Tulsidas.
₹539.00
ISBN: 9788124612637
Year Of Publication: 2024
Edition: 2nd
Pages : xxi, 132
Bibliographic Details : Index
Language : Hindi
Binding : Hardcover
Publisher: D.K. Printworld Pvt. Ltd.
Size: 22 cm.
Weight: 470 grams
This book presents a proper meaning of the Ramcharitmanas chaupai, Dhola gamvara sudra pasu nari , ye sab tadana ke adhikari using the actual meaning of the word, tadana, in Avadhi language, and by delving into the deep philosophical references of the Pancabhutas, ether, air, fire, water, and earth of the Samkhya and Vaishesika darshanas, as intended by Goswami Tulsidas.
प्राक्कथन vii
Preface xiii
1. ‘ढोल गँवार शूद्र पशु नारी’ का रामायणीय विवेचन 1
– बलराम सिंह
2. ढोल: शाीय एवं सामाजिक पक्ष 12
– रीना सहाय एवं बलराम सिंह
2.1 श्रुति, स्वर एवं ताल 13
2.2 सङ्गीत-वाद्यों की उत्पत्ति 15
2.3 स्वर-वाद्य एवं ताल-वाद्य 18
2.4 राग-रागिनी 20
2.5 भक्ति सङ्गीत 23
2.6 ढोल की बनावट एवं वादन विधि 28
सन्दर्भग्रन्थसूची 33
3. ‘गँवार’ या भारत की सभ्यता, संस्कृति एवं धर्म का आधार? 35
– उमेश कुमार सिंह एवं बलराम सिंह
3.1 गँवार कौन है? 36
3.2 ग्रामीण सभ्यता की विशेषताएँ 37
3.2.1 गाँव में प्रजा एवं प्रजापति 38
3.2.2 अन्य व्यावसायिक जातियाँ 40
3.2.3 ठाकुर एवं ठाकुर साहब 40
3.2.4 गाँव की बेटी, सारे गाँव की बेटी 41
3.2.5 गाँव की अन्तर्जातीय नातेदारी 41
3.2.6 गाँव का पुरोहित या सर्वमान्य विश्वासपात्र 42
3.2.7 नाई एवं पण्डित की अभिभावक जैसी भूमिका 43
3.2.8 गाँव की चौपाल या युवाओं की संस्कारशाला 44
3.2.9 बैना: एक लुप्तप्राय परम्परा 45
3.3 गाँव में छुआछूतः एक अर्धसत्य 46
3.4 देश के रक्षक सैनिकों का स्रोतः गाँव 47
3.5 अर्थव्यवस्था का मूल आधार गाँव 48
3.6 गाँव की सुलभ सेवाएँ 48
3.7 जैविक खेती 49
3.8 पारस्परिक सहयोग 51
3.9 ग्रामीण भोजन एवं पकवान 52
निष्कर्ष 54
4. सहज शूद्र वर्ण की अन्तर्निहित जटिलता का 56
सामाधानिक विश्लेषण
– अपर्णा धीर खण्डेलवाल एवं बलराम सिंह
4.1 ‘शूद्र वर्ग’ की वैदिक परिकल्पना 57
4.2 ‘ताड़ना’ शब्द की मौलिक अवधारणा 67
4.3 शूद्र ‘वर्ग’ नहीं ‘भाव’ है 68
4.4 ‘शूद्र’ सामाजिक-व्यवस्था एवं कल्याण का आधार 72
5. Paśu: The Animal 74
– Raj Kumar and Bal Ram Singh
5.1 Concept of Paśu 75
5.2 Human Superiority or Animals are Better? 79
5.3 Comparison of Animal Kingdom with 86
Homo Sapiens
5.4 Natural Living 88
5.5 Darwin on Diversity 93
5.6 Animals and Development of Taste 95
Tanmātrā (तन्मात्रा)
5.7 Communication Abilities of Paśu and 97
Human
5.8 Concluding Remarks 104
Bibliography 108
6. श्रीयुक्ता नारी 111
– अनुजा सिन्हा एवं बलराम सिंह
6.1 भारतीय सभ्यता में नारी का स्थान 113
6.2 तटस्थ भाव से समझ विकसित करने की आवश्यकता 118
शब्दसूची 123
About the Authors 125
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