डाॅ॰ हर...
डाॅ॰ हरीसिंह गौर (Dr. Harisingh Gaur)
एक प्रेरक व्यक्तित्व by: Brajesh Kumar SrivastavaOriginal price was: ₹550.00.₹495.00Current price is: ₹495.00.
ISBN: 9788124610930
Year Of Publication: 2021
Edition: 1st
Pages : xv,234
Bibliographic Details : सन्दर्भ-ग्रन्थ सूची
Language : Hindi
Binding : Hardcover
Publisher: D.K. Printworld Pvt. Ltd.
Size: 23cm
Weight: 470
डा. हरीसिंह गौर ने एक गरीब परिवार से उठकर अपने परिश्रम, बुद्धिमानी, लगनशीलता, धैर्य, आत्म-विश्वास एवं दृढ़ निश्चय जैसे गुणों के बल पर कैम्ब्रिज युनिवर्सिटी जैसे उस समय के उत्कृष्ट शिक्षा संस्थान से शिक्षा प्राप्त की। निरन्तर प्रगति करते हुये अपने समय के बुद्धिजीवों की प्रथम पंक्ति में आ गये। अपनी सृजनात्मक क्षमता का उपयोग करते हुये साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कवितायें एवं निबंध लिखे, कानून के क्षेत्र में उच्च कोटि के प्रख्यात ग्रन्थ लिखे एवं धर्म के क्षेत्र में ‘स्प्रिट आॅफ बुद्धिज्म’ जैसी श्रेष्ठ पुस्तक लिखी। वे उच्च कोटि के विधिवेत्ता थे, उस दौर में वकालात करते हुये सफलता के नये कीर्तिमान स्थापित किये। कुशल राजनीतिज्ञ की भूमिका निभाते हुये विधान परिषद् में समाज सुधार एवं महिलाओं की स्वतंत्रता विषयक अधिनियम पारित कराये। संस्थापक वाइस चांसलर के रूप में कुशल प्रशासक एवं प्रबुद्ध शिक्षाशास्त्री होने का परिचय देते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय को संगठित किया। अपने जीवनभर की कमाई का सदुपयोग विद्यादान में करते हुये सागर विश्वविद्यालय की स्थापना की और महादानी कहलाये।
डा. गौर का सम्पूर्ण जीवन अनुकरणीय है। पुस्तक को सहज, सरल एवं बोधगम्य शैली में लिखकर यथासंभव प्रेरणास्पद बनाने का प्रयास किया गया है। छात्र, शोधार्थी एवं आम पाठक इसे पढ़कर डा. गौर के जीवन से प्रेरणा लेकर अपने व्यक्तित्व का विकास करते हुये अपने जीवन एवं कर्मक्षेत्र में सफलता प्राप्त करें, इसी आशा से पुस्तक लिखी गई है। पुस्तक इतनी रोचक एवं ज्ञानवर्द्धक है कि इसे पढ़कर आप अपने आपको धन्य महसूस करेंगे।
पुरोवाक्
प्रसंगवश
भूमिका
1. जन्मभूमि सागर: एक परिचय
2. जन्म एवं परिवार
3. देश-विदेश में शिक्षा
4. भारत में नौकरी
5. प्रख्यात वकील के रूप में ख्याति
6. प्रख्यात लेखक के रूप में ख्याति
7. आत्मकथा: क्यों, कैसे व कौन लिखे
8. राजनीतिक क्षेत्र में भूमिका
9. दिल्ली विश्वविद्यालय के संस्थापक वाइस-चांसलर एवं
एक प्रबुद्ध शिक्षा-शास्त्री
10. सागर विश्वविद्यालय की स्थापना
11. महिलाओं की स्थिति में सुधार एवं समाज-सुधारक के
रूप में योगदान
12. धार्मिक दृष्टिकोण एवं बौद्ध धर्म
13. विभिन्न देशों के लोगों के चरित्र के बारे में विचार
14. डाॅ॰ हरीसिंह गौर के बारे में प्रख्यात विद्वानों के विचार
· भारत के प्रथम राष्ट्रपति डाॅ॰ राजेन्द्र प्रसाद (1884-1963)
· भारत के द्वितीय राष्ट्रपति डाॅ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1888-1975)
· पं॰ गोविन्दवल्लभ पंत (1887-1961)
· पं॰ कुजीलाल दुबे (1896-1970)
· हुँमायू कबीर (1906-69)
· मगन भाई देसाई (1889-1969)
· आचार्य शिवपूजन सहाय (1893-1963)
· बाबू वृन्दावन लाल वर्मा (1889-1969)
· प्रो॰ रामप्रसाद त्रिपाठी
· पं॰ द्वारका प्रसाद मिश्र (1901-88)
· शिवकुमार श्रीवास्तव (1928-2007)
· अम्बिका प्रसाद बाजपेयी
· महाराज कुमार डाॅ॰ रघुवीर सिंह (1908-91)
· राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त (1886-1964)
· प्रो॰ आर॰एस॰ सैनी (1925-2012) 199
· एस॰ए॰ राघो (1925-2009)
· एम॰बी॰ मल्होत्रा
· प्रो॰ कान्ति कुमार जैन
· राजेश केशरवानी
· राजेश श्रीवास्तव
15. जीवन-दर्शन एवं अन्तिम यात्रा
डाॅ॰ हरीसिंह गौर से सम्बन्धित कुछ छाया-चित्र
अन्त में…………………….
सन्दर्भ-ग्रन्थ सूची
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