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Panchsidhantika...
Panchsidhantika
by: Kedar Nath Shukla₹225.00
ISBN: 9788124611067
Year Of Publication: 2021
Edition: 1st
Pages : x,117
Language : Hindi
Binding : Paperback
Publisher: D.K. Printworld Pvt. Ltd.
Size: 23
Weight: 196
छठी शताब्दी के लब्ध प्रतिष्ठित ज्योतिषविद् वराहमिहिरकृत पञ्चसिद्धान्तिका भारतीय खगोल शास्त्र का एक प्रमुख सैद्धान्तिक ग्रन्थ है। उस समय के उपलब्ध प्रमुख पाँच ज्योतिष सिद्धान्तों – पौलिश, रोमिक, वासिष्ठ, सौर और पितामह को संकलित कर इस ग्रन्थ को अठारह अध्यायों में प्रस्तुत किया गया हे। यें पाँचों ग्रन्थ और उनकी टीकाएँ आज लुप्त हो चुकी हैं। पञ्चसिद्धान्तिका में वर्णित विषयों में सौर एवम् रोमक सिद्धान्तों पर आधारित अहर्गण की गणना, अधिमास, क्षय तिथियों की गणना, वर्ष, मास आदि के सूत्र प्रस्तुत किए गए हैं। ग्रहों की गति का विश्लेषण तथा पौलिश, रोमक एवम् सौर सिद्धान्त पर आधारित सूर्य एवम् चन्द्र ग्रहण की गणना-विधि भी प्रस्तुत की गई हे।
वराहमिहिर पहले ज्योतिषविद् थे जिन्होंने अयनांश अर्थात् विषुव के स्थानान्तरण का शुद्ध मान दिया। इस पुस्तक में त्रिकोणमिति के ज्या के शुद्ध मान की गणना भी प्रस्तुत की गई है।
पञ्चसिद्धान्तिका का यह हिन्दी रूपान्तरण निश्चित ही सैद्धान्तिक खगोलिकी के शोधकर्ताओं एवम् अन्य पाठकों के लिए उपयोगी होगा।
प्राक्कथन
प्रथमोऽध्याय : करणावतारः (अध्याय 1: भूमिका)
द्वितीयोऽध्याय : वासिष्ठसिद्धान्तः —— नक्षत्नादिच्छेद:
(अध्याय 2: वासिष्ठ सिद्धान्त —— नक्षत्नादि निर्धारण)
तृतीयोऽध्याय : पौलिश सिद्धान्तः — ग्रहादिगणितम्
(अध्याय 3: पौलिश सिद्धान्त — ग्रहों का गणित)
चतुर्थ अध्याय : करणम् — त्निप्रश्न: अध्याय 4: करण — त्निप्रश्न)
पञ्चमोऽध्याय : शशिदर्शनम् (अध्याय 5: चन्द्र-दृश्यता)
पष्ठोऽध्याय : चन्द्रग्रहणम् (अध्याय 6: चन्द्र-ग्रहण)
सप्तमोऽध्याय : पौलिशसिद्धान्तः रविग्रहणम्
(अध्याय 7: पौलिश सिद्धान्त आधारित सूर्य-ग्रहण)
अष्टमोऽध्याय : रोमकसिद्धान्तेऽर्कग्रहणम्
(अध्याय 8: रोमक सिद्धान्त आधारित सूर्य-ग्रहण)
नवमोऽध्याय : सूर्यसिद्धान्ते अर्कग्रहणम्
(अध्याय 9: सूर्य सिद्धान्त आधारित सूर्य-ग्रहण)
दशमोऽध्याय : चन्द्रग्रहणम्
(अध्याय 10: चन्द्र-ग्रहण)
एकादशोऽध्याय : अनुवर्णनम्
(अध्याय 11: ग्रहण-रेखा-चित्नण)
द्वादुशोऽध्याय : पैतामह-सिद्धान्त:
(अध्याय 12: पितामह सिद्धान्त)
त्नयोदशोऽध्याय : त्नैलोक्यसंस्थानम्
(अध्याय 13: त्नैलोक्य संस्थान, ब्रह्माण्डोत्पति)
चतुर्दशोऽध्याय : छेद्यकयन्त्राणि
(अध्याय 14: खगोलीय यन्त्न, प्रेक्षण)
पञ्चदशोऽध्याय : ज्योतिषोपनिषत्
(अध्याय 15: ज्योतिष उपनिषद्)
षोडशोऽध्याय : सूर्यसिद्धान्ते मध्यगतिः
(अध्याय 16: सूर्य सिद्धान्त आधारित मध्यम गति)
सप्तदुशोऽध्याय : ताराग्रहस्फुटीकरणम्
(अध्याय 17: तारा ग्रहों की स्पष्ट गति)
अष्टादशोऽध्याय : पौलिशसिद्धान्ते ताराग्रहाः
(अध्याय 18: पौलिश सिद्धान्त आधरित ग्रहों का उदय और अस्त)
परिशिष्ट : भूतसंख्या
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